बीते लम्हों की तुम अब न बातें करो ,
मैं जहां भी रहूं मुस्कुराने तो दो।।
गीले -शिकवे तुम्हारे न रोके मुझे ,
दर्द खुद की हाँ खुद से उलझने तो दो।
बीते -लम्हों की तुम अब न बातें करो।
मैं जहां भी रहूं मुस्कुराने तो दो।।
मेरी बाँहों में है अब तो ख्वाब मेरे ,
इन बाँहों में खुद से जकड़ने तो दो।
बीते -लम्हों की तुम अब न बातें करो ।
मैं जहां भी रहूं मुस्कुराने तो दो।
इन होठों को अब गुनगुनाने तो दो ,
जख़्म दिल में जो है उसको भरने तो दो।
बीते -लम्हों की तुम अब न बातें करो ।
मैं जहां भी रहूं मुस्कुराने तो दो।।
जादू उँगलियों की अब थिरकने तो दो ,
स्वर -संजो को भी अब मचलने तो दो।
बीते -लम्हों की तुम अब न बातें करो ।
मैं जहां भी रहूं मुस्कुराने तो दो।।
हर धडकन में जो स्वर तुम्हारी बसी ,
इन सासों को अब खुद धडकने तो दो।
बीते -लम्हों की तुम अब न बातें करो ।
मैं जहां भी रहूं मुस्कुराने तो दो।।
छांव देती रही ये जो छाया तुझे ,
इन छाँवों को अब संग चलने तो दो।
बीते लम्हों की तुम अब न बातें करो ।
मैं जहां भी रहूं मुस्कुराने तो दो।।
हर दर्पण में जो तेरी सूरत दिखी ,
उस दर्पण में ख़ुद को संवरने तो दो।
बीते -लम्हों की तुम अब न बातें करो ।
मैं जहां भी रहूं मुस्कुराने तो दो।।
- अनुपमा उपाध्याय त्रिपाठी
*we do not own the illustration
Good
जवाब देंहटाएं😊 Thanks
हटाएंNice 👌
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