औरत !
चमकते चाँद से सितारे माँगी,
जुगनूओं से टिमटिमाहट माँगी।
पंक्षियों से विस्थापन माँगी ,
बूंदों से बुदबुदाहट माँगी।
हवाओं से सरसराहट माँगी ,
इरादों से मजबूती माँगी।
ख़ामोशी से सुगबुगाहट माँगी ,
ओलों से सख्ती माँगी।
रातों से नींदे माँगी,
तस्वीरों से यादें माँगी।
जजबातों से फितरत माँगी,
गुल से पंक्ति माँगी।
यादों से हलचल माँगी,
चाहों से "न हार" माँगी।
मझधार से किनारे माँगी,
गुलफशा से प्रसार माँगी।
कशिश से कोशिश माँगी,
कलियों से खिलना माँगी।
कामनाओ से दुवाएँ माँगी,
फूलों से खुशबू माँगी।
धागे से गुथना माँगी,
परिंदे से पंख माँगी।
आसमान से उड़ान माँगी,
झीलों से ठहराव माँगी।
धरती से प्रहार माँगी,
बीजों से अंकुर माँगी।
हाँ ! औरत तूने !
सब कुछ माँगी।
हाँ ! औरत !
तूने सब कुछ माँगी।
तूने सब कुछ माँगी।
- अनुपमा उपाध्याय त्रिपाठी
*we do not own the illustrations
Nice one
जवाब देंहटाएं🙏🙏 धन्यवाद
जवाब देंहटाएं💃👌👌
जवाब देंहटाएं😊 Thanks
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