दृष्टि
बारिश तेरे पानी में,
तृप्ति क्यों है।
ये जो बादल हैं,
ये चलते क्यों है।
ये जो चिड़ियाँ है ,
ये उड़ती क्यों है।
ये जो तितली है ,
इसमें रंगत क्यों है।
ये जो कोयल है ,
ये सुरीली क्यों है।
ये जो तोता है ,
ये नकलची क्यों है।
ये जो हम -सब है ,
हमसे रौनक क्यों है।
ये जो बोल है ,
ये इतने मोहक क्यों है।
ये जो मुस्कान है ,
इसमें खुशियाँ क्यों है।
ये जो-फ़िक्र है ,
इसमें अपनापन क्यों है।
ये जो हर्ष है ,
इसमें उत्साह क्यों है।
ये जो चाहत है ,
इसमें प्यास क्यों है।
ये जो अपने हैं ,
उनमे नाराजगी क्यों है।
ये जो बगिया है ,
उसमें भौरे क्यों है।
ये जो पपीहा है ,
उसमे धैर्य क्यों है।।
ये जो अंबर है ,
उसमें फैलाव क्यों है।
ये जो ज़ीवन है ,
उसमें विविधता क्यों है।।
ये जो प्रश्न है ,
उसमें सजीवता क्यों है।।
- अनुपमा उपाध्याय त्रिपाठी
*We do not own the illustrations.
great poem
जवाब देंहटाएंThanks 😊
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