सोमवार, 23 अगस्त 2021

दृष्टि

दृष्टि 

बारिश तेरे पानी में, 
                   तृप्ति क्यों है। 
ये जो बादल हैं,
               ये चलते क्यों है। 
ये जो  चिड़ियाँ है ,
                ये उड़ती क्यों है। 
ये जो तितली है ,
                इसमें रंगत क्यों है। 
ये जो कोयल है ,
                    ये सुरीली क्यों है। 
ये जो तोता है ,
                  ये नकलची क्यों है। 
ये जो हम -सब है ,
                 हमसे रौनक क्यों है। 
ये जो बोल है ,
             ये इतने मोहक क्यों है। 
ये जो मुस्कान है ,
                   इसमें खुशियाँ क्यों है। 
ये जो-फ़िक्र है ,
                इसमें अपनापन क्यों है। 
ये जो हर्ष है ,
              इसमें उत्साह क्यों है। 
ये जो चाहत है ,
             इसमें प्यास क्यों है। 
ये जो अपने हैं ,
                उनमे नाराजगी क्यों है। 
ये जो बगिया है ,
            उसमें भौरे क्यों है। 
ये जो पपीहा  है ,
           उसमे धैर्य क्यों है।।  
ये जो अंबर है ,
               उसमें फैलाव क्यों है। 
ये जो ज़ीवन है ,
              उसमें विविधता क्यों है।। 
ये जो प्रश्न है ,
              उसमें सजीवता क्यों है।। 

                                              - अनुपमा उपाध्याय त्रिपाठी     


*We do not own the illustrations.  

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