बुधवार, 23 जून 2021

"फादर्स डे" एक अनुभूति

"फादर्स डे एक"अनुभूति 



चरों तरफ एक जोश है,
               उमंग है तरंग है।  
उत्सवों का बोल है,
              पल-पल ही शोर है। 
बधाइयों व गिफ्ट से,
              सना एक व्यक्ति है। 
              हैप्पी फादर्स डे!
              हैप्पी मदर्स डे!
सोच एक अथाह ले,
             पूछ ली मैं स्वयं से। 
             क्यों बांध लूँ मैं ?
             इन्हे एक इंसान में। 
खूबसूरत जज़्बात है ,
            फीलिंग की भरमार है। 
भाव का सैलाब है,
            खूबियों की खान है। 
अस्तित्व की उड़ान है,
           पोषण की मुकाम है। 
फादर ना कोई जेंडर ,
           ना मदर कोई जेंडर। 
यह है अनुभूति,
           जो करते हमें पोषित। 
'माँ' में भी तो देखी,
           एक डॉट व् फटकार है। 
'पिता' में भी देखी,
          एक सच्चा शिल्पकार है। 
दोनों के ही 'थाप',
          कभी 'सरस' कभी 'सख्त'। 
यूँ पलकों के हलचल से,
          देते आकर हैं। 
           फादर व मदर। 
           दोनों ही जज्बात है। 
कभी माँ में है पापा ,
           तो पापा में है माँ। 
अनुभूतियों से पलता,
           हर एक इंसान।। 

                                      -अनुपमा उपाध्याय त्रिपाठी 



*we do not own the illustrations

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