यादों के रंग
तुमसे बिछड़े तो ऐसा लगा,
कि जी न सकेंगे हम।
हर पल समेटा है,
तेरे यादों के रंगो को।
तन्हाई इन रंगो को,
देता है चित्र भी।
ये चित्र मेरे दिल को ,
देतें है शब्द - ध्वनि।
ये नाद हिंडोले- सी,
देतीं है मेरे मन को।
ये मन इन नादों से,
हो जाते हैं बोझिल।
ये बोझ हट जातें हैं ,
तेरी यादों के रंगो से।
लगता हैं जीवन,
दर्द का कोई साया।
यह साया हट जाती हैं,
तेरी यादों के रंगो से।
तुमसे बिछड़े तो,
ऐसा लगा कि,
जी ना सकेंगे हम।
हर पल समेटा हैं,
तेरी यादों के रंगो को।
मेरा हर पल तेरी,
यादों का मंजर हैं ये।
मेरे जीवन की सीढ़ियों का ,
कण -कण हैं ये।
मन में ये तेरी सूरत ,
छिपा कर बैठी हूँ यूँ।
जैसे पुष्प छुपाये रहता,
हैं अपने सुगंध को।।
-अनुपमा उपाध्याय त्रिपाठी
*we do not own the illustrations.
Beautiful....
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