नीतियां
जब दिन में अँधेरा हो,
सड़के वीरान हों।
गलियों में भूख हो,
घरों में क्लेश हो।
जाति में भेद हो ,
सम्प्रदाय में तनाव हो।
धर्म में उत्पीड़न हो,
राजनीति में पाप हो।
युवा में हिंसा हो,
साथी में ईर्ष्या हो।
आतंक बेपनाह हो,
नशा खुलेआम हो।
खौफ में पीड़ा हो,
दर्द में सिहरन हो।
अच्छाईयों में बंधन हो,
बेड़ियों में सुकृत है।
अँधेरा मिटा दे,
ले हाथो में लौ ले।
एक ऐसी कलम दे,
जो क़र दे हस्ताक्षर।
एक ऐसा हस्ताक्षर,
मिटा दे अँधेरा।
मिटा दे गरीबी,
मिटा दे बीमारी।
तिरोहित जहाँ से ,
अँधेरा मिटा दे।
जीवन में लाए,
सभी के मेल।
गलियों में रौनक दे ,
चेहरे पर तेज़।
सम्प्रदाय में सद्भाव ,
धर्म में धारणा।
राजनीति में नीति,
प्रेम बेपनाह।
किलकती सी खुशियाँ,
अच्छाई की थिरकन।
वक्त ले आ -तू ,
एक जादुई- हस्ताक्षर।
हाँ। जादुई -हस्ताक्षर।
मिटा दे वह क्लेश ,
मिटा दे वह भेद।
ये जमीं भी हमारी ,
आसमां भी हमारा।
खुशियों के मेले में ,
हो आना -जाना।
तू क़र दे हस्ताक्षर
हाँ। जादुई हस्ताक्षर।
अनुपमा उपाध्याय त्रिपाठी
*we do not own the illustrations
Kya baat hai ! Aameen
जवाब देंहटाएंThanks 😊
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