सच्चरित्र
सच्चरित्र
सद्भावना है पता मेरा,
भाव ही हृदय है।
विचारों की गलियों में ,
गूंजता ए स्वर है।
प्रेम ही निवास मेरा ,
मित्रता ही नियति मेरी।
जीवन ही राग मेरा ,
स्नेह ही उड़ान मेरी।
संवेदना की अनुभूति ,
मानवता ही धर्म मेरा।
स्नेह -सद्भावना के आँचल -तले ,
पलता -पोषता ए चरित्र है।
कुदरत तेरी -काया के ,
रूप यूँ अनेक है।।
- अनुपमा उपाध्याय त्रिपाठी
Woww so good
जवाब देंहटाएंThanks 😊🤩
हटाएंWah.. bahut sundar.. bachhon k liye bahut upyogi h..
जवाब देंहटाएं😊Thanks
हटाएंTOO GOOD!!
जवाब देंहटाएं😊 THANKS
हटाएंBohot khoob likha hai
जवाब देंहटाएं🙏Thanks
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