मंगलवार, 3 नवंबर 2020

केतली चाय की

 केतली चाय की  

दर्द के दरवाजे पर दस्तक देती ,

                                 लो आ गयी हॉट -चाय की प्याली। 

धूंवें बिखेरती ,गिरती -फिसलती कप में ,
                         घूँट भर -भर कर हलक़ तक पहुंचती मेरे। 
तेरी हॉट स्पर्श गले का आलिंगन करती ,
                            छुई -मुई कर देती है दर्द सारे। 
तू चाय है। 
                  एक छोटा -सा शब्द है जरूर। 
पर ! बहू -सी निभाती है रिश्ते सारी। 
                               दोस्तों के बीच तल्ख़ियाँ मिटाती तेरी प्याली,
                जब यारों संग बैठ पी-लें -प्याली। 
तेरे प्याली में डूबते सारे रिश्ते ,
                     न तुम हो तो सूख जाते सारे रिश्ते। 
तेरा साथ शकुन देता है,
                     मन की मलीनता धो -देता है। 
एहसास फुरसत का कराती तेरी प्याली  ,
                जब -काम के बीच -झूमती -आ जाती -प्याली। 
इंतज़ार कराती है दफ़्तर से उनके आने की ,
           पति-संग- साथ बैठ प्याली- निभाने की। 
तेरे खुशबू में सम्मोहन यूँ होता है ,
                  खींच सबको यूँ अपनों से बाँध देता है। 
हर्षोल्लास -संग मेहमान -नवाज़ी निभाती तू है ,
           कोरोना साथ तुलसी संग -भगाती तू है। 
तेरी तारीफ़ में शब्द छोटे पड़ते हैं ,
                छोटी -इलायची भी तो साथ तेरे संजते हैं। 
तेरी सुगंध बदल देती है माहौल को ,
                  सुस्ती दूर कर चुश्ती बढ़ा देती है। 
यूँ- अदरक का साज़ भी जो तेरे हाथों में ,
      मानो-मोहिनी -मुरली हो तेरे हाथों में। 
अश्वगंधा व् लौंग का कर लेती है जब श्रृंगार तूँ,
               दोस्त ! इम्यून सिस्टम को कर देती है बलवान तूँ।  
तू आजा ! 
               भर -लूँ मैं अपनी प्याली में। 
नशा शराब में नहीं है ,
                   है तेरी प्याली में।। 

                                            -अनुपमा उपाध्याय त्रिपाठी 


*we do not own the illustrations. For details about the painting, check this link.

18 टिप्‍पणियां:

  1. बोहोत अछा लिखा है अपने, चाय चीज ही ऐसी है।
    चाय का अति सजीव चित्रण किया है अपने।

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