आवाज़
तारों के टूटन से,
माँगती हूँ खैरियत तेरी।
काँटों के चुभन से ,
माँगती हूँ दर्द तेरा।
ओंस की बूंदो से,
माँगती हूँ आंसू तेरे।
अथाह दर्द को तेरे,
छुपाकर इस समंदर में।
भावों के थपेड़ों से,
रोक लूँगी मैं लहरों को।
बनाकर खुशियों की लड़ियाँ,
पिरो दूँगी मैं धाँगे में।
फिज़ाओ से कशिश करके ,
मढ़ा दूँगी मैं ये लड़ियाँ।
पहन कर इन बहारों को ,
नजारा ही निहारोगे।
भूल जाओगे सारे गम,
बहारों के नजारों से।।
-अनुपमा उपाध्याय त्रिपाठी
*we do not own the illustrations. The art(oil on canvas) is a creation of Pol Ledent.
Bohot acha
जवाब देंहटाएंThanks 😊
हटाएंKhoobasurat Prastuti
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंNice
जवाब देंहटाएंThanks 😊
जवाब देंहटाएं