जो तुम आ -जाते एक बार (part-2)
जो तुम आ -जाते एक बार
धुल जाते सारे राग-ताप।
जो तुम आ -जाते एक बार।
ऐसी चुप्पी क्यों साथ -साथ ,
जिसमें सन्नाटों की बास।
जो देते जख्मों पर आघात ,
जो तुम आ -जाते एक बार।
सुन लेती तुम जो मेरी बात ,
सन्नाटों में होते धुन हजार।
नजरें कर देती शिक़वे बयान।
रिमझिम झींसे- स्नेहिल तार,
भेदे मिटते सारे संताप।
छंट जाते बादल पृथक तार।
हो जाते मन भी खुशगवार।
जो तुम आ -जाते एक बार।
बोझिल मन भी हो शांत -शांत ,
बाहर मौसम भी खुश मिज़ाज।
सोने का सूरज साथ -साथ,
रोशन करता ये गुलिस्तां।
जो तुम आ -जाते एक बार।
संपने बुनती मैं बार -बार ,
कर आँखों से बातें हजार।
जो तुम आ जाते एक बार।
धड़कन भी करती सौ बात ,
हर आहट नजरें झाँक-झाँक।
जो तुम आ -जाते एक बार।
मधुरम बेला करते तलाश ,
संग ख्वाबों में भी बांध शमाँ ।
जो तुम आ -जाते एक बार।
खुद से करती बातें हज़ार।
पल -पल करती मैं इंतजार ,
जो तुम आ -जाते एक बार।
संवेगों की ये तीक्ष्ण चाप ,
कर देती मुझको हैरान।
जो तुम आ -जाते एक बार।
यांदो की विस्मृत ये उड़ान ,
गूँथी मंजरियों संग याद,
जो तुम आ -जाते एक बार।
भावों के मंजर साथ -साथ,
पलते रिश्ते की हर शाख।
जो तुम आ -जाते एक बार।
बदले -बदले से हर तार ,
मुद्रा भी करती नृत्य -नाद।
जो तुम आ -जाते एक बार।
भावों के भाव -थपेड़ों में ,
पल -पल गुजरे जो साथ -साथ।
जो तुम आ -जाते एक बार।
जीवन शिक़वे के भी हज़ार ,
कर लेते मिल दो -चार -हाथ।
जो तुम आ -जाते एक बार।
जीवन के इतने रंग -तले ,
हम भी बन जाते चित्रकार।
जो तुम आ -जाते एक बार।
हर रंगों की अपनी है छाप,
ले -लेते ठप्पे साथ -साथ।
जो तुम आ -जाते एक बार।
मधुरम काया ले साथ -साथ,
घुल -मिलकर रहते साथ -साथ।
जो तुम आ -जाते एक बार।
जीवन के इन चलचित्र तले,
दुःख में भी रहते साथ -साथ।
जो तुम आ -जाते एक बार।
सूई-धागे बन साथ -साथ,
गूँथते रिश्ते के हर तार,
जो तुम आ जाते एक बार।
-अनुपमा उपाध्याय त्रिपाठी
*we do not own the illustrations. Image from efficacy.org
👌
जवाब देंहटाएंThanks 😊😍😍😍
जवाब देंहटाएं👍👍
जवाब देंहटाएंअल्फ़ाज़ और कलमकार दोनों जबरदस्त।
जवाब देंहटाएंThanks 😊
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