शहादत
आओ डूबें उस प्रतिपल में,
क्रंदन -रुदन के हर स्वर में।
हो चीत्कार हर आँगन में,
हर ममता के घर -आँगन में।
हर -बहना के उर-क्रंदन से,
ममता के निज हिय -रुदन से।
हर प्रतिदान अनोखी जिसकी,
माँ का रूदन हो अस्तित्व की।
निकले एक अनोखी आग,
लपटें दें हर पूत का दान।
इस विचित्र प्रतिदान का राज,
छुपा नहीं तुझसे ऐ भारत -महान।
हर पत्नी का सिंदूर ही,
जो निज देश का रक्षक था।
मातृ -भूमि का प्रहरी ही,
जिनकी सांसों में अंकित था।
आओ मिल सब डूबें उसमें,
भगत सिंह व राजकुंवर में।
गाँधी ,सुभाष जैसे प्रहरी में।
नेक आत्माओं की जय घोष,
लगाले ऐ भारत महान।
कर ऐसा उद्घोष जगत में,
सृष्टि के कोने -कोने में।
राग व बीणा -बीने बन,
डूबें अतीत के उन प्रतिपल में।
-अनुपमा उपाध्याय त्रिपाठी
*we do not own the images.
Wow! Ma'm ....bahut achhe shabad..nice creativity
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा जान के... thank you ^_^
हटाएंToo Good
जवाब देंहटाएंoh my god. Thank you ^_^
हटाएंfantastic
जवाब देंहटाएंNam ko chritarth kr rhe ho aap anupam kvita
जवाब देंहटाएंHardik dhnybad
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