सशक्त समाज
सुंदर सुकुमार सलोने पल,
मीठी -भीनी भौरे -गुनगुन।
आकाश पटल सुंदर -मधुमय,
यूँ नील-सरोवर तट तक हो।
देखूं -छूं-लूँ की चाह भरे,
नतमस्तक -लोचन नयनों से।
रिमझिम-झींसें बरसात लिए,
मन -भींगे रिमझिम बूंदो से।
सूरज की लाली अरुण लिए,
अरुणिम -प्रभा मुखरित कर ले।
नव-युग कर ले अभिनंदन अब ,
चल-बढ़ ले अब तू साथ मेरे।
जब-गलियों में सुख -शांति चले,
हो-मोदक मुखरित घर -आंगन।
निर्भय -निःसंशय स्वर मुखरित,
नारी के बोल सँजे आंगन।
सशक्त -कदम से निर्भय बढ़,
हर गलियाँ,मोड़,गली,नुक्क्ड़।
मधुहास भरे निर्भय-मन से,
हर माँ-बेफ़िक्र रहे हर- क्षण।
लो अरुणिम आभा साथ लिए,
नव-शोध लिए नवाचार लिए।
महिला के हाथों में अद्भुत,
सुख-समृद्धि का मशाल जले।
इसकी लौ में सब साफ़ दिखे,
हर-मुश्किल भी आसान लगे।।
- अनुपमा उपाध्याय त्रिपाठी
*we do not own the illustrations. The painting belongs to Ramona Pintea.
Hmm.. Excellent job!
जवाब देंहटाएंExcellent 😃
जवाब देंहटाएं