संकल्प
वह आदमी आदमी -ही क्या,
जिसके जीने का मकसद न हो।
वह चिराग चिराग-ही क्या,
जिसकी तेज -रोशनी न हो।
वह सफ़र सफ़र -ही क्या,
जिसकी कोई मंजिल न हो।
वह मंजिल मंजिल -ही क्या,
जिसकी राहें कठिन न हों।
हौसले बुलंद हों अगर,
तो रास्ते आसान है।
मंजिल तो मिलेगी ही,
चाहे लाख तूफ़ान हो।
रश्मि तेरे तेज की,
मिटा देगी तूफ़ान को।
बनके हम-सफ़र वह,
पनाह देगी-छाँव की।
- अनुपमा उपाध्याय त्रिपाठी
*we do not own the images
Motivational👌👌
जवाब देंहटाएंthanks a lot :)
हटाएं👏👏
जवाब देंहटाएं🙏Thanks
हटाएंWOW ; VERY NICE
जवाब देंहटाएं😊Thanks
हटाएंINCENTIVE
जवाब देंहटाएं😊Thanks
हटाएंवाह! लिखते रहिए
जवाब देंहटाएं😊Thanks
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